1870 में, जॉन डी. रॉकेफेलर ने स्टेंडर्ड ऑइल कंपनी की स्थापना की थी जो पेट्रोलियम उद्योग में सबसे बड़ी एकाधिकार की कंपनी हो गयी। 135 वर्ष बाद, 2014 के उत्तरार्द्ध में, रॉकेफेलर के उत्तराधिकारियों ने खनिज ईंधन में अपने निवेश को बंद कर दिया। उन्होंने इस तथ्य के द्वारा अपने निर्णय को स्पष्ट किया कि साफ अक्षय ऊर्जा चरणबद्ध ढंग से तेल-आधारित संपत्ति से बाहर हो रही है। यह प्रकट करता है कि वे सही थे क्योंकि ब्रेंट क्रूड ऑइल की कीमत जो सितम्बर 2014 में $94 प्रति बैरल थीं वे अब गिरकर जनवरी 2016 में $35 प्रति बैरल हो गयीं।
तथापि, काले सोने की कीमत में उतार-चढ़ाव पर विचार करके जब स्टैंडर्ड ऑइल को स्थापित किया गया था, तब यह सिद्ध करने के कई कारण मौजूद थे कि प्रमुख गिरावट के बाद समान रूप से बढ़ोत्तरी के भी अवसर आ सकते हैं। इस प्रकार, 1861 में, ऑइल की कीमत लगभग $15 (2015 डॉलर में मापित) थी, जो मात्र 5 वर्ष बाद तेजी से बढ़कर $120 हो गयीं, फिर $40 तक गिर गयीं और फिर दुबारा 1870 तक बढ़कर -$80 प्रति बैरल हो गयी। इन दिनों, 1971 की शुरूआत से, हम इसी प्रकार का उतार-चढ़ाव देख रहे हैं।
तेल की कीमतों के साथ वास्तव में क्या होगा? यह प्रश्न बहुत से लोगों द्वारा पूछा जाता है क्योंकि कीमत की दिशा का प्रभाव न केवल मुद्रा की विनिमय दरों, शेयर बाजार सूचकांक, शेयरों की कीमतों पर पड़ता है बल्कि संपूर्ण देशों और राष्ट्रों की किस्मत पर भी पड़ता है।
एक अंतर्राष्ट्रीय ब्रोकर कंपनी NordFX के एक अग्रणी विश्लेषक जॉन गॉर्डन कहते हैं, “वास्तव में, इस वर्ष की शुरूआत में कुछ सकारात्मक कीमत की गतिशीलता थी लेकिन अभी भी कोई निश्चित भविष्यवाणी करना कठिन है। विशेषज्ञों की राय में जबर्दस्त रूप से अंतर है। उदाहरण के लिए, कुछ समय पहले ही ब्लूमबर्ग एजेंसी ने एक खबर फैलायी कि तेल बाजार के मुनाफाखोरों ने अल्पकालिक अनुबंधों को खरीदना शुरू कर दिया जिसका प्रतिफल तभी मिलेगा जब तेल की कीमत $15 प्रति बैरल तक नीचे जाती हैं। दूसरी तरफ, आस्ट्रिया के रैफेसेन बैंकिंग समूह के विशेषज्ञों के अनुसार, दो वर्षों में कीमत $100 तक पहुंच सकती हैं।”
ये चरम सीमा के दृष्टिकोण हैं जबकि अधिकांश पूर्वानुमान उतने विपरीत नहीं हैं तथा $40-60 की राशि के अंदर की सीमा में है। जैसा कि मूडी की इन्वेस्टर्स सर्विस मानती है कि 2016 में एक बैरल की कीमत $43 होगी। रूस की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी रोस्नेफ्ट ने भी $45 के समान आंकड़े के बारे में विचार प्रकट किए हैं। विश्व बैंक ने इसे अपेक्षाकृत उच्चतर स्तर पर रखा है, हालांकि इसने दृष्टिकोण को $57 से डाउनग्रेड करके $52 कर दिया।
स्विस UBS ग्रुप AG काफी आशावादी पूर्वानुमान प्रदान करता है। इसके विशेषज्ञों का मानना है कि 2016 की तीसरी तिमाही तक, तेल बाजार संतुलित हो जाएगा तथा कीमत $60-67 के अंदर सुनिश्चित हो जाएंगीं। एक फ्रांसीसी निवेश समूह, में कार्यरत फंड प्रबंधक, कार्मिग्नाक गेस्टन ने इसी तरह की राय को द टाइम्स के साथ साझा किया, “ 12 से 18 महीनों के अवलोकन पर, तेल कीमतें कम से कम $60 की आपूर्ति की सीमान्त लागत पर वापस सामान्य हो जाएंगी।” एलिआंज़ में मुख्य आर्थिक सलाहकार, मोहम्मद ए. एल-एरिअन बार को अपेक्षाकृत ऊंचा उठाते हैं। वे नहीं मानते हैं कि तेल की कीमत वापस $100 प्रति बैरल तक पहुंचेंगी तथा वर्ष 2016 के लिए $60-70 का सुझाव देते हैं।
NordFX के जॉन गॉर्डन सार प्रस्तुत करते हैं, “यदि सभी सकारात्मक पूर्वानुमानों को मिला दिया जाए तो तेल की औसत कीमत लगभग $60 प्रति बैरल आती है। आशावादी होने के लिए वास्तव में कारण हैं। निश्चित तौर पर, अमेरिका और ओपेक देशों द्वारा उत्पादन पर काफी अधिक कब्जा। कोई भी उत्पादन लागतों के रूप में ऐसे कारक की अनदेखी नहीं कर सकता है जोकि, उदाहरण के लिए, अमेरिकी शैल ऑइल फील्ड्स के लिए औसत $57-58 पर है। इस समय, यूएसए तथा ओपेक अभी भी उत्पादन लागतों से कम पर तेल बेच सकते हैं तथा इसे शुरूआत में बेचे गए भावी अनुबंधों से लाभ कमा सकते हैं। हालांकि, यह हमेशा नहीं चल सकता है क्योंकि साथ ही साथ भविष्य में कीमतें गिर भी सकती हैं।”
तेल कंपनियों के अलावा, निर्यात करने वाले देशों को भी अपनी स्थिति को फिर से हासिल करने तथा तिजोरी भरने की जरूरत है। एक के लिए, वेनेज़ुएला एक आपत्तिजनक स्थिति में है, तथा सरकार ने आधिकारिक रूप से देश में मानवीय संकट की घोषणा कर दी है। इन परिस्थितियों के तहत, ओपेक मदद नहीं कर सकता है लेकिन उत्पादन के क्वॉटस को कम कर सकता है। इसके विशेषज्ञ मानते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका भी इस वर्ष प्रतिदिन 400,000 से अधिक बैरल तक उत्पादन को कम करेगा।
NordFX के विशेषज्ञ कहते हैं, “निवेश का निर्णय लेते समय, अन्य चीजों के साथ इस बात पर भी विचार करना महत्वपूर्ण है कि ऊर्जा की कमोडिटी की कीमतें न केवल संपूर्ण विनिमय दरों पर स्पष्ट रूप से प्रभाव डालती हैं बल्कि साथ-ही साथ सबसे बड़े शेयर बाजारों को भी प्रभावित करती हैं।” वे आगे बताते हैं, “विदेशी मुद्रा सेवाओं के साथ-साथ, हमारी कंपनी अग्रणी तेल और औद्योगिक कंपनियों के शेयरों के साथ-साथ शेयर सूचकांकों के रूप में परिसंपत्तियों के साथ बाइनरी विकल्पों की ट्रेडिंग की पेशकश करती है। चार्ट स्पष्ट रूप से उनके क्वॉटस तथा तेल कीमतों के बीच सहसंबंध दर्शाते हैं- अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट आती है जब तेल की कीमते गिरती है, तथा, इसके विपरीत यह ऊपर उठता है जब काले सोने की कीमतें चढ़ती हैं।”
यह कहे जाने पर, बहुत से विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि तेल की कीमतों में शीघ्र बढ़ोत्तरी पर ध्यान नहीं देना चाहिए। एडमोंटन जरनल के लिए अपने साक्षात्कार में, फर्स्टएनर्जी कैपीटल के विश्लेषक मार्टिन किंग ने बताया कि बढ़ोत्तरी से पहले कीमतें फिर $30 तक गिर सकती हैं। 2016 की केवल तीसरी और चौथी तिमाही में सक्रिय विकास की उम्मीद की जा सकती है।
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